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हिंदी युवा कवि महेश कुमार हरियाणवी जी की चंद कविताएँ इस प्रकार है:




हिंदी कविता: आकांक्षा


घर-घर हाथ तिरंगा हो
कष्ट मिटाती गंगा हो।

टोपी पगड़ी ध्यान रहें 
मूच्छों का सम्मान रहे।

उच्च-नीच का बैर न हो
बेटी बहनें गैर न हो।

भरी बाप की थाली हो
श्रमिक नहीं नाबालिग हो।

बिक ना जाए मान कहीं
अवसर हो नीलाम नहीं।

अपने-अपनों से रूठे ना
मतलब में रिश्ते टूटे ना।

शिक्षा बढ़ती जंग न हो
लुटती हुई तरंग न हो।

केसरिया का मान रहे
हरी-सफेद कमान रहे।

चक्र में ना पतंगा हो
जन मन मस्त मलंगा हो।

घर-घर हाथ तिरंगा हो
घर-घर हाथ तिरंगा हो।।

युवा कवि:
महेश कुमार हरियाणवी
झूक, महेंद्रगढ़, हरियाणा
9015916317

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काव्य विश्लेषण


भारत की आकांक्षाओं, समसामयिकी और सम्प्रभुता को दर्शाती, महेश कुमार जी की कविता "आकांक्षा" एक बेहद प्रेरणादायक और समाजिक संदेश देने वाली रचना है, जो देशभक्ति, समानता, भाईचारा व शिक्षा को बढ़ावा देने के साथ-साथ नैतिक-पतन, बेरोजगारी,  बाल-मजदूरी, भेदभाव व साम्प्रदायिक दंगों जैसी बढ़ती विकराल समस्याओं पर कड़ा व सटीक प्रहार करती है।

कुल मिलाकर, यह एक संवेदनशील, प्रेरणादायक और विचारोत्तेजक रचना है जो पाठकों को समाजिक मुद्दों पर विचार करने और सकारात्मक परिवर्तन के लिए प्रेरित करती है। 

आमतौर पर ऐसी रचनाएँ बहुत कम पढ़ने की मिलती है। 

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हिंदी कविता: दर्पण



देख ले जहान आज
कल कैसा होएगा।
संचारित दुनिया में
अकेलापन रोएगा।।

बच्चा कहीं और पले
माता कहीं और हो।
कौन देगा ज्ञान ध्यान
पैसों की हिलोर हो।

अपनों की डोर जाएँ
अपने ही तोड़ जो।
सपनों के पीछे भागें
बोने हर मोड़ हो।

सिसकी दुलार वाली
फोन पर टोहेगा।
देख ले जहान आज
कल कैसा होएगा।।

जिस पे हो आस वही
पास नहीं आएगा।
राज-पाट पाके पास
खास बन जाएगा।

संबंधों के बंधनो में
हल्की-सी भेंट होगी।
महँगी-सी दुनिया में
सस्ती-सी रेट होगी।

दिल एक पाने को ही,
पाए दिल खोएगा।
देख ले जहान आज
कल कैसा होएगा।।

दिल जो भी नेक होगा 
लाखों में एक होगा।
मतलबी दुनिया में
झूठा फरेब होगा।

पग पथ पर चले
बिन थक जाएगा।
उँगली पे दुनिया का
भार बढ़ जाएगा।

गुम होगा चैन कहीं
पलभर सोयेगा।
देख ले जहान आज
कल कैसा होएगा।।

तरंग के रंग, रंग
जीवन पे गाज हो।
बोलियाँ तो होंगी पर
नशीली रिवाज़ हो।

शोर चारों छोर होगा
भोर भी बेजोर हो।
सुरीली आवाज़ वाला
कड़वा कठोर हो।

पक्षी घट जाएंगे तो
वन राज खोएगा।
देख ले जहान आज
कल कैसा होएगा।।


युवा कवि:
महेश कुमार हरियाणवी
झूक, महेंद्रगढ़, हरियाणा
9015916317

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काव्य विश्लेषण

कविता "दर्पण" एक गहरी और विचारोत्तेजक कविता है, जो आधुनिक समाज की समस्याओं और चुनौतियों को दर्शाती है। कवि ने कहा है कि आज के समय में अकेलापन, संबंधों की कमी, मतलबीपन, और झूठ बढ़ रहा है। कविता का मुख्य संदेश यह है कि हमें अपने समाज और जीवन को सुधारने के लिए काम करना चाहिए, और हमें अपने संबंधों को मजबूत बनाने और प्रकृति की रक्षा करने के लिए प्रयास करना चाहिए।

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हिंदी कविता: तोड़


चल कुछ कर ऐसा
कल बने कल जैसा।
बिता हुआ कल कभी
हाथ नहीं आएगा।।

अफ़सोस किसका है
मिला उसे जिसका है।
कोशिशों का तेरी तुझे
फल मिल जाएगा।।

खुद से ना खुद डर
बिकता क्यों मर मर
हार भी गया जो गर
कर जीत जाएगा।।

कितने ही चलते है
सपनों में पलते है
मुख सही ओर मोड़
तोड़ मिल जाएगा।।

कवि: 
महेश कुमार हरियाणवी
झूक, महेंद्रगढ़, हरियाणा।

काव्य विश्लेषण:

यह कविता जीवन के संघर्ष और प्रयासों के महत्व को दर्शाते हुए एक प्रेरणादायक और उत्साहवर्धन संदेस देती है।

कवि ने कहा है कि बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता, इसलिए हमें वर्तमान के साथ, जीवन में आगे बढ़ते हुए अपने लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए प्रयासरत रहना चाहिए