जन्म दिवस है राम का
जन्म दिवस है राम का,
हर्षित है परिवेश।
उत्सव के गुण गा रहा,
मेरा भारत देश।।
द्वार - द्वार सजने लगे,
उत्सव का उल्लास।
रामचन्द्र के जन्म का,
पावन दिन है खास।।
उत्सव में शामिल हुए,
देव दनुज नर- नार।
रामचन्द्र के जन्म पर,
बहती रस की धार।।
विश्व अचंभित हो रहा,
प्यारा उत्सव देख।
राम - राम के नाम का
पढ़ते सुंदर लेख।।
घर-घर उत्सव मन रहा,
रामचन्द्र का आज।
गली - गली में बज रहे,
मधुर सुरों में साज।।
राम लला के द्वार की,
मनमोहक तस्वीर।
उत्सव देखन आ रहे,
माणिक संत फकीर।।
उत्सव भारत देश के,
होते बड़े महान।
देते है सद्भाव का,
सारे जग को ज्ञान।।
वरिष्ठ कवि:
भास्कर सिंह माणिक, कोंच
जालौन, उत्तरप्रदेश।
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विषय विशेष
यह कविता राम जन्मोत्सव यानी रामनवमी की खुशियों और उत्साह को बयां करती है। कवि ने इस पावन अवसर पर देश की एकता और सद्भाव को दर्शाया है। राम जन्मोत्सव के इस त्यौहार पर कवि के शब्दों में कहा गया है कि यह उत्सव न केवल भारत के लिए बल्कि पूरे विश्व के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर है।
काव्य विश्लेषण:
कविता "जन्म दिवस है राम का" वरिष्ठ कवि भास्कर सिंह माणिक द्वारा लिखी गई है, जो राम जन्मोत्सव की खुशियों और उत्साह को बयां करती है। इस कविता में कवि ने इस पावन अवसर पर देश की एकता और सद्भाव को दर्शाया है।
कविता की विशेषताएँ
कविता की कुछ विशेषताएँ जो मुझे पसंद आईं:
भावपूर्ण भाषा:
कविता की भाषा भावपूर्ण और आकर्षक है, जो पाठक को कविता के साथ जोड़ती है।
उत्सव का वर्णन:
कविता में राम जन्मोत्सव का वर्णन बहुत ही सुंदर तरीके से किया गया है, जो पाठक को उत्सव के माहौल में ले जाता है।
देश की एकता:
कविता में देश की एकता और सद्भाव को दर्शाया गया है, जो एक महत्वपूर्ण संदेश है।
कविता की संरचना:
कविता की संरचना बहुत ही सुंदर है, जिसमें दोहों का भरपूर उपयोग किया गया है।
कविता के कुछ विशेष अंश
कविता के कुछ विशेष अंश जो मुझे पसंद आए:
- "जन्म दिवस है राम का, हर्षित है परिवेश"
- "उत्सव में शामिल हुए, देव दनुज नर- नार"
- "राम-राम के नाम का पढ़ते सुंदर लेख"
निष्कर्ष
कविता "जन्म दिवस है राम का" एक सुंदर और भावपूर्ण कविता है, जो राम जन्मोत्सव की खुशियों और उत्साह को बयां करती है। कविता में देश की एकता और सद्भाव को दर्शाया गया है, जो एक महत्वपूर्ण संदेश है। कविता की भाषा और संरचना बहुत ही सुंदर है, जो पाठक को कविता के साथ जोड़ती है।
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