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प्रेम पर ग़ज़ल: पढ़िए उषा जैन उर्वशी जी की, दो सुंदर हिंदी ग़ज़ल्स, 'कुछ कमी है' और 'मायके का महत्व'

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ग़ज़ल: कुछ कमी है


यूँ तो ज़िंदगी में नहीं कुछ कमी है
फ़कत तुमसे दूरी हमेशा खली है।

हमारी तुम्हारी भी क्या ज़िंदगी है
कभी है अँधेरा कभी चाँदनी है।

जिसे भूल जाने कि ज़िद थी हमारी
गली से मेरी फिर गुज़रने लगी है।

जहाँ से चले थे वहीं लौट आये
सुई वक़्त की आ वहीं पे रुकी है।

किसी से हमें दिल नहीं था लगाना
मगर दिल ने कब बात ख़ुद की सुनी है।

क़दम डगमगाए बिना मैंकशी के
हमें प्यार की यूँ ख़ुमारी चढ़ी है।

बना ताक़ जैसा मुआ दिल हमारा
नहीं और कुछ याद तेरी रखी है

हमें ख़्वाब में माँ ने आँचल उढ़ाया
महक सुब्ह तक उर्वशी में रही है।


कवयित्री:                                 
ऊषा जैन उर्वशी 
कोलकाता, पश्चिमी बंगाल



***


विषय विशेष:


ग़ज़ल रचना का मतला "ज़िंदगी में नहीं कुछ कमी है" एक सुंदर और भावनात्मक अभिव्यक्ति है जो प्रेम और विरह की भावनाओं को व्यक्त करता है। इस हिंदी ग़ज़ल में कवयित्री ऊषा जैन जी ने अपने प्रेमी से दूरी की पीड़ा और जीवन की अनिश्चितताओं को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया है।

ग़ज़ल का मुख्य संदेश यह है कि जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं, लेकिन प्रेम और विरह की भावनाएं हमेशा बनी रहती हैं। ग़ज़ल में कवयित्री ने अपने प्रेमी के प्रति अपनी भावनाओं को व्यक्त किया है और जीवन की अनिश्चितताओं के बावजूद प्रेम की महत्ता को दर्शाया है।

***




ग़ज़ल: गिला नहीं करते


बात सुन हम गिला नहीं करते
सामने आईना नहीं करते।

तल्ख़ बातें दुखा रही दिल, पर
चश्म तर हम करा नहीं करते।

है ज़माने में लोग ऐसे भी
जो किसी का बुरा नहीं करते।

प्यार की हो रही शरर दिल में
शर्म से इल्तिज़ा नहीं करते।

जो मिला है वही तो मिलना था
दोष क़िस्मत कहा नहीं करते।

जो अना से अकड़ गए हैं वो
चाह कर भी मिला नहीं करते।

जिनके दिल बन गए हैं पत्थर से
वो, दवा या दुआ नहीं करते।

उर्वशी, माँ-पिता गए जब से
याद फिर मायका नहीं करते।




कवयित्री:
ऊषा जैन उर्वशी 
कोलकाता, पश्चिमी बंगाल
(बहर- 2122  1212  2 2)

***



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ग़ज़ल का विषय:


ग़ज़ल का मतला "बात सुन हम गिला नहीं करते" जीवन की सच्चाई और भावनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाता है। ग़ज़ल में कवयित्री ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, जैसे कि:

1. प्यार और दर्द: 
ग़ज़ल में प्यार और दर्द की भावनाओं को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है।
2. जीवन की अनिश्चितताएं:
ग़ज़ल में जीवन की अनिश्चितताओं को दर्शाया गया है, जैसे कि क़िस्मत और जीवन के उतार-चढ़ाव।
3. मानव स्वभाव:
ग़ज़ल में मानव स्वभाव को दर्शाया गया है, जैसे कि अना और अकड़।
4. पारिवारिक संबंध
ग़ज़ल में पारिवारिक संबंधों को भी छुआ गया है, जैसे कि माँ-पिता की याद।

ग़ज़ल का विषय जीवन की जटिलताओं और भावनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाना है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है और उन्हें जीवन की सच्चाई से अवगत कराती है।




ग़ज़ल की विशेषताएँ


1. भावनात्मक अभिव्यक्ति:
ग़ज़ल में भावनात्मक अभिव्यक्ति बहुत ही सुंदर तरीके से की गई है, जो पाठकों को आकर्षित करती है।

2. जीवन की सच्चाई: 
ग़ज़ल में जीवन की सच्चाई को बहुत ही सुंदर तरीके से दर्शाया गया है, जो पाठकों को सोचने पर मजबूर करती है।

3. सरल भाषा: 
ग़ज़ल की भाषा सरल और सुंदर है, जो पाठकों को आसानी से समझ में आती है।

ग़ज़ल का उद्देश्य:

ग़ज़ल का उद्देश्य जीवन की सच्चाई और भावनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाना है। ग़ज़ल में कवयित्री ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ है, जैसे कि प्यार, दर्द, और जीवन की अनिश्चितताएं। ग़ज़ल का उद्देश्य पाठकों को सोचने पर मजबूर करना और उन्हें जीवन की सच्चाई से अवगत कराना है।

ग़ज़ल की शैली:

ग़ज़ल की शैली बहुत ही सुंदर और आकर्षक है। कवयित्री ने ग़ज़ल में भिन्न-भिन्न प्रतीकों का उपयोग किया है, जो ग़ज़ल को और भी सुंदर बनाते हैं।

निष्कर्ष:


ग़ज़ल "बात सुन हम गिला नहीं करते" एक सुंदर और भावनात्मक ग़ज़ल है जो जीवन की सच्चाई और भावनात्मक अभिव्यक्ति को दर्शाती है। ग़ज़ल की भाषा और शैली सरल और सुंदर है, जो पाठकों को आकर्षित करती है।