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इज्जत कविता: इज्जत यानी लोक सम्मान पर हरियाणवी कविता in Hindi

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इज्जत 

इज्जत का कमाणा बंदे
खुद कै हाथ सै 
करिये और करवाइयें बस 
छोटी सी बात सै

औरां  नै  दुख  देकै 
के  धरया  कुटीचमैं
कहैकै आप कहाले 
भूण्डी बाण गलीचमैं
पगडी़  की  इज्जत 
हुया करै सभा बीचमैं 
घरबारी के चारों पल्ले 
रहैँ सदा कीच मैं
ज्ञान मिलैना रींछ मैं 
नाचै  साबत रात सै
करिये और करवाइयें बस
छोटी सी बात सै.... ...

औरां के पांया म्हातै 
खैचणा छडा़  छोड़दे
पासंग मैं डाण्डी मारै 
करणा धडा़ छोड़दे
श्रद्ध़ा भाव नही पूजणा  
वो थडा़ छोड़ दे
पी  प्याहू का पाणी 
फोड़णा  घडा़ छोड़दे
बड़ा बणना छोड़दे 
जित बैठी हो पंच्यात सै
करिये और करवाइयें बस
छोटी सी बात सै..........

बात बणाये बणती ना 
होता खोट विचारों मैं 
मनका मैल धुल सकता ना 
गंगाजी की धारों मैं
खुदका सोना खोटा हो 
फेर काढै दोष सुनारों मैं
मोका देख पासा पलटज्या 
मान मिलैना प्यारोंमैं 
जो बणै हजारी हजारों मैं  
वो  करता  घात सै 
करिये और करवाइयें बस
छोटी सी बात  सै ........

एक दूज्जे का दर्द जाण कै  
बोल  बोलिये
भरी सभा मैं कहणतै पहल्या  
सौबै तोलियें
सबकै  साहमी अपणं का  
मत भेद खोलिये
मान बडाई मिलै मुफ्त  मैं  
मिठास  घोलिये
दलबीर सभा नै मोहलिये  
साथ सारदे मातसै
करिये और करवाइयें बस
 छोटी सी बात सै .......

कवि:
दलबीर 'फूल' 
गांव: लिसान, रेवाड़ी, हरियाणा
(लोक कवि व रेड़ियो सिंगर)

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विषय विशेष:

सम्मान एक ऐसी भावना है जो हम दूसरों के प्रति रखते हैं और उनकी क्षमताओं, उपलब्धियों, और व्यक्तित्व का सम्मान करते हैं। सम्मान एक दो-तरफी भावना है, जो हमें दूसरों के प्रति और दूसरों को हमारे प्रति महसूस होती है। 
प्रतिष्ठा, आदर, विश्वास, सहानुभूति और मानवता इसके मुख्य घटक हैं।

काव्य विश्लेषण:


यह कविता एक सामाजिक और नैतिक संदेश देती है, जो हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सुधार लाने के लिए प्रेरित करती है। कविता में दलबीर 'फूल' जी ने बहुत ही सुंदर और अर्थपूर्ण शब्दों का उपयोग किया है, जो पाठकों को आकर्षित करते हैं और उन्हें सोचने पर मजबूर करते हैं।

कविता के मुख्य विषय:

इज्जत और सम्मान का महत्व
आत्म-सुधार और व्यक्तिगत विकास
सामाजिक जिम्मेदारी और सहानुभूति
नैतिक मूल्यों और सिद्धांतों का पालन

कविता की विशेषताएं:

सरल और प्रभावशाली भाषा
अर्थपूर्ण और गहरे शब्दों का उपयोग
सामाजिक और नैतिक संदेश
आत्म-सुधार और व्यक्तिगत विकास पर जोर


दलबीर 'फूल' जी ने कविता में सामाजिक जिम्मेदारी और सहानुभूति का भी उल्लेख किया गया है, जो हमें दूसरों के प्रति अधिक सहानुभूति और समझ रखने के लिए प्रेरित करता है। कविता में कहा गया है कि हमें दूसरों के दर्द को समझना चाहिए और उनकी मदद करनी चाहिए।

कुल मिलाकर, दलबीर 'फूल' जी की यह हरियाणवी कविता, हमें अपने व्यक्तिगत और सामाजिक जीवन में सुधार लाने के लिए प्रेरित करते हुए, सोचने पर मजबूर करती है।

कलम की जानकारी:

दलबीर 'फूल' एक प्रसिद्ध हरियाणवी लोक कवि हैं जिन्होंने अपनी कविताओं तथा रागनियों में सामाजिक, नैतिक और भावनात्मक विषयों पर प्रकाश डाला है। उनकी कविताएं सरल, सुंदर और अर्थपूर्ण होती हैं, जो पाठकों को अत्यधिक आकर्षित करती हैं।