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भक्तिज्ञान पर कविता: BhaktiRas की कविता in विधाता छंद व ध्वनि छंद पर कविता

भक्तिरस में कविता | विधाता छंद में कविता | अमृत ध्वनि छंद परभूपग धूल | हिंदी कविता


विधाता छंद

ढलेगी रैन-संकट की, सुबह जब-धर्म की छाये। 
भरेगी-लालिमा जग में, किरण-सद्कर्म की आये।। 
मिटे-अज्ञान की कारक, महा-गुरु ज्ञान जब पाये। 
मिले हरि-धाम प्राणी को, डगर-जब सत्य की जाये।। 


बनेगा-संत सम मानव, कलंकित कर्म-जब छोड़े। 
मिलेगा-धाम ईश्वर का, कड़ी जब पाप-की तोड़े।। 
बनेगा-दास राघव का, लगन जब धर्म-से जोड़े। 
मिले सुख-चैन प्राणी को, घड़ा जब पाप-का फोड़े।। 


मिलेगा ज्ञान-ब्रह्मा सा, करे जब पाठ-गीता का। 
बने हनुमान-सा प्राणी, मिले वरदान-सीता का।। 
बनेगा दैत्य-वो प्राणी, करे जो कर्म-चीता का। 
मिले सम्मान-उसको ही, बने जो दास-जीता का।। 

कवि: प्रभुपग धूल


Bhakti Gyan par kavita



(अमृत ध्वनि छंद)


लायी ऋतु-मधुमास की,
हरियाली चहुँ-ओर।
फूल-खिले हैं बाग में,
नाच रहा मन-मोर।।

नाच-रहा मन, मोर-हरी है, डाली-डाली।
भरी-आम की, डाल-मौर से, खुश-है माली।।
मृदुल-बसंती, राग-सुनाने, कोयल-आयी।
सुनकर-मधुरिम, राग-ढाक पर, लाली-छायी।।


फूली-सरसों खेत में,
छाया-सुखद-बसंत।
राधा-कहती श्याम से,
चलो-घूमने कंत।।

चलो घूमने, कंत-मना मत, मोहन करना।
नाचूँ प्रीतम, संग-झरे जब, प्रेमिल-झरना।।
देख-पिया का, रूप-श्यामला, सुध-बुध भूली।
भरा-प्रेम का, सिंधु-देख कर, चम्पा-फूली।।


बोले-पक्षी बाग में,
देख-मधुर मधुमास।
बादल-छाये व्योम में,
श्याम-रचाते रास।।

श्याम-रचाते, रास-नाचती, राधा-प्यारी।
उड़ती-प्रभुपग,धूलि-बसंती,ऋतु-है न्यारी।।
कोयल-बोले,बोल प्रेम-रस,राधा-घोले।
निरख-अनोखा,नृत्य-सभी का,तन-मन डोले।।


कवि:
प्रभुपग धूल


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विषय ज्ञान

भक्तिज्ञान: एक विशेष आध्यात्मिक यात्रा

सनातन भक्तिज्ञान एक ऐसा ज्ञान है जो हमें आध्यात्मिक जीवन जीने की कला सिखाता है। यह ज्ञान हमें बताता है कि कैसे हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और संतुष्ट बना सकते हैं।

सनातन भक्तिज्ञान का मूल सिद्धांत यह है कि हमारा असली स्वरूप आत्मा है, जो एक शाश्वत और अविनाशी इकाई है। इस आत्मा को हमें पहचानने और समझने की जरूरत है, ताकि हम अपने जीवन को सही दिशा में ले जा सकें।

सनातन भक्तिज्ञान में भक्ति का बहुत महत्व है। भक्ति का अर्थ है भगवान के प्रति प्रेम और समर्पण। जब हम भगवान के प्रति भक्ति रखते हैं, तो हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है, जो हमें अपने जीवन को बेहतर बनाने में मदद करता है।

सनातन भक्तिज्ञान में ज्ञान का भी बहुत महत्व है। ज्ञान का अर्थ है आत्म-ज्ञान, जो हमें अपने असली स्वरूप को समझने में मदद करता है। जब हम अपने असली स्वरूप को समझते हैं, तो हमें अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने की क्षमता मिलती है।

सनातन भक्तिज्ञान के अनुसार, जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवान की प्राप्ति करना है। भगवान की प्राप्ति करने के लिए, हमें अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने की जरूरत है। इसके लिए, हमें अपने विचारों और कार्यों को सुधारने की जरूरत है, ताकि हम भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकें।

सनातन भक्तिज्ञान के अनुसार, जीवन में कई चुनौतियाँ और कठिनाइयाँ आती हैं, लेकिन हमें इनसे घबराने की जरूरत नहीं है। हमें अपने जीवन को सही दिशा में ले जाने के लिए, अपने विचारों और कार्यों को सुधारने की जरूरत है। जब हम ऐसा करते हैं, तो हम भगवान की कृपा और आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।

सनातन भक्तिज्ञान एक ऐसा ज्ञान है जो हमें आध्यात्मिक जीवन जीने की कला सिखाता है। यह ज्ञान हमें बताता है कि कैसे हम अपने जीवन को अधिक अर्थपूर्ण और संतुष्ट बना सकते हैं। सनातन भक्तिज्ञान के अनुसार, जीवन का मुख्य उद्देश्य भगवान की प्राप्ति करना है, और इसके लिए हमें अपने विचारों और कार्यों को सुधारने की जरूरत है।