(शहीद भगत सिंह को समर्पित काव्य गीत)
शूरवीर शेर और दिलेर क्रांतिकारी था।
नाम था भगत अकेला सैकड़ो पे भारी था।।
देश के लिए जिया जो देश पे जां दे गया।
भारती के भाल पे सितारा बनके छा गया।।
दे गया आजादी वो तो वीर बलकारी था।
नाम था भगत---------
दौड़ता रगों में जिसकी जज्बा जुनून था।
आग थी आजादी की आंखों में उतरा खून था।।
नाम पे जिसके बशर्ते बेशक फतवा जारी था।
नाम था भगत---------
गूंजता जयघोष चहुं ओर उसके नाम का।
आजादी का परवाना वो भक्त श्री राम का।।
देश के लिए उसका संघर्ष सर्वा जारी था।
नाम था भगत----------
संसद में बम फोड़ जब धमाका जोरदार किया।
रोक पाया कोई ना सुरक्षा घेरा पार किया।।
शूरवीर शेर वो बारूद की चिंगारी था।
नाम था भगत-------
कवयित्री:
सुशीला यादव
गुरुग्राम, हरियाणा
विषय विशेष:
नाम था भगत सिंह! भगत सिंह एक महान भारतीय क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी थी। वह अपने साहस, नेतृत्व और बलिदान के लिए जाने जाते हैं।
About Bhagat Singh:
उनका जन्म 28 सितंबर 1907 को पंजाब के ज़िला लायलपुर (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।
भगत सिंह एक विद्यार्थी के रूप में ही क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हो गए थे। उन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय रूप से भाग लिया और ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कई क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए।
भगत सिंह की सबसे प्रसिद्ध गतिविधि थी सेंट्रल असेंबली में बम फेंकना, जो उन्होंने अपने साथी बटुकेश्वर दत्त के साथ मिलकर किया था। इस घटना के बाद, भगत सिंह और उनके साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया और उन पर मुकदमा चलाया गया।
भगत सिंह को मृत्युदंड की सजा सुनाई गई और 23 मार्च 1931 को उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। उनकी शहादत ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई ऊर्जा और प्रेरणा दी।
आज भी, भगत सिंह को भारत के एक महान नायक के रूप में याद किया जाता है और उनकी शहादत को कभी भुलाया नहीं जा सकता।
विषय विश्लेषण:
शहीद भगत सिंह जी की पुण्यतिथि पर विशेष कविता की समीक्षा:
सुशीला यादव जी द्वारा लिखी गई यह कविता शहीद भगत सिंह की पुण्यतिथि पर एक सुंदर श्रद्धांजलि है। कविता में भगत सिंह की वीरता, साहस और बलिदान को बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण तरीके से व्यक्त किया गया है।
कविता की पहली पंक्ति "शूरवीर शेर और दिलेर क्रांतिकारी था! नाम था भगत अकेला सैकड़ो पे भारी था !!" से ही भगत सिंह की वीरता और साहस का पता चलता है। कविता में आगे भगत सिंह के देश प्रेम और आजादी की लड़ाई को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है।
कविता की एक पंक्ति "दे गया आजादी वो तो वीर बलकारी था नाम था भगत--------" से भगत सिंह के बलिदान का पता चलता है। कविता में आगे भगत सिंह के नाम पर फतवा जारी होने और उनके संघर्ष को बहुत ही सुंदर तरीके से व्यक्त किया गया है।
कविता की अंतिम पंक्ति "संसद में बम फोड़ जब धमाका जोरदार किया ! रोक पाया कोई ना सुरक्षा घेरा पार किया !!" से भगत सिंह की वीरता और साहस का पता चलता है। कविता में भगत सिंह को "शूरवीर शेर" और "बारूद की चिंगारी" कहकर संबोधित किया गया है, जो उनकी वीरता और साहस को दर्शाता है।
कुल मिलाकर, यह कविता भगत सिंह के प्रति एक सुंदर श्रद्धांजलि है, जो उनकी वीरता, साहस और बलिदान को बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण तरीके से व्यक्त करती है। यह कविता भगत सिंह के जीवन और उनके संघर्ष को पढ़ने वालों को प्रेरित करेगी।
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