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महाकुंभ पर कविता: Mahakumbh Par Kavita in Hindi

महाकुंभ पर कविता | महाकुंभ पर शायरी | बसंत ऋतु पर कविता | बसंत पर कविता इन हिंदी

Mahakumbh Par Kavita

 
(तीर्थ राज की पावन रज)

गंगा की पावन जलनिधि पर, केसरिया छवि न्यारी सी। 
ऋषि मुनियों ने निर्मित कर दी, कनक गैल अति प्यारी सी॥

 उमड़ पड़े हैं जन-जन सारे, कल्पवास तप करने को। 
संत समागम दिव्य भव्य शुचि, रिक्त न थल पग धरने को॥

अनुभव करें ह्रदय के तल से, सुरसरि जग कल्याणी को। 
क्या सुख मिल सकता है बढ़कर, सुन संतों की वाणी को? 

संगम तट की झिलमिल लगती, मोती जड़ी किनारी सी। 
ऋषि मुनियों ने निर्मित कर दी, कनक गैल अति प्यारी सी॥ 

देख रहा है अंबर झुक कर, धर्म ध्वजा की रंगत को। 
बिखरी रौनक दीपमालिका, घोंघ रही जल संगत को ॥ 

अर्ध निशा की छवि यह अनुपम, तट पर छिटके तारे हैं । 
तीर्थ राज की पावन रज पर, जैसे देव पधारे हैं॥ 

पावन गंगा की कलकल भी, लगती है असवारी सी। 
ऋषि मुनियों ने निर्मित कर दी, कनक गैल अति प्यारी सी॥ 

मन मौनी अदहन जप माला, भुक्ति मुक्ति की धुन गाती । 
ठिठुरन का दर्पण लहराता, गहन सनातन छवि भाती॥ 

विहग पाँत जलतल पर तैरें, लिखते नित्य कहानी है । 
लगा डुबकियाँ करें प्रार्थना, सब सिर चूनर धानी है ॥ 

गंगा की लहरों पर कश्ती, दमक रही फुलकारी सी। 
ऋषि मुनियों ने निर्मित कर दी, कनक गैल अति प्यारी सी॥ 

कवयित्री:
प्रीति शर्मा “प्रीति” 
रीवा- मध्य प्रदेश

Basant par kavita


Basant Ritu par kavita



मनसिज गुलमोहर लगें, 
                 धरणी रूप अनंत ।
महुआ की भीनी महक, 
                 लाया सुखद वसंत।।

किंशुक खिल कर भूमि के, 
                     करें गुलाबी गाल।
रवि-किरणों की गाँव में, 
                    जैसे  उड़े  गुलाल।।

सरसों से जब मिल गया, 
              अलसी  का परिहास।
मगन कोकिला गुन गयी ,  
                    वासंती उल्लास।।

मंत्रमुग्ध करती प्रकृति ,
              सुरभित पवन अनंत।
वसुंधरा के गात पर , 
              महके महक बसंत ।।

सुरभित है वातावरण,
                 सुन्दर लगते छंद।
प्रेम रंग सरसे धरा , 
            छाया अति आनंद ।। 

धरती आभामय हुई, 
               स्वागत में ऋतुराज।
पादप सेमल लग रहे, 
              जैसे सुन्दर साज।।

ऋतु वसंत का आगमन,
                     छायी हुई बहार।
दिव्य रूप धरणी धरे, 
                    पीत वर्ण शृंगार।।

प्रिय वसंत से हो रहा , 
                 हिय का पूर्णालाप।
अपने में ही रह गया,
               अपना अपने आप।।

कवयित्री
प्रीति शर्मा प्रीति                       
रीवा - मध्य प्रदेश

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महाकुंभ को बेहद पावन माना जाता है, यह लगभग एक सदी में एक ही बार संभव हो होता है। महाकुंभ भारत का सबसे बड़ा और पवित्र त्योहार है। वैसे कुम्भ का पावन स्नान लगभग हर 12 वर्ष में एक बार आयोजित किया जाता है। 

यह त्योहार हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है, वे कुंभ स्नान को अपने जीवन का सबसे बड़ा त्योहार मानते हैं।

महाकुंभ व कुंभ में लाखों श्रद्धालु पवित्र नदियों में स्नान करने के लिए एकत्रित होते हैं, जो उनके पापों को धोने और मोक्ष प्राप्त करने के लिए प्रसिद्ध हैं। इस त्योहार के दौरान, श्रद्धालु विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों में भाग भी लेते हैं, जैसे कि पूजा, आरती और यज्ञ इत्यादि।

महाकुंभ न केवल एक धार्मिक त्योहार है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक और सामाजिक आयोजन भी है, जो लोगों को एक साथ लाने और उन्हें एकता और सद्भावना की भावना से भरने का अवसर प्रदान करता है।