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(चाँदनी रात में)
साँस ही थम गई, इक मुलाक़ात में
झूम के बरसे वो, चाँदनी रात में।
झूम के बरसे वो, चाँदनी रात में।
ज़िस्म जलने लगा, तुमने जाने जिगर
आज जो कह दिया, बात ही बात में।
बोलने को बहुत कुछ, है बाकी और भी
काफ़ी बेचैनियाँ भी, हैं जज्बात में।
शब्द गुम है कहीं, होंठ ख़ामोश हैैं
आप ही बोल दो, ऐसे हालात में।
चाह दिल की जुवाँ, तक नहीं आ रही।
आप खुद ही समझ लो ख़यालात में।
देख लो आपका, अक्स ही है बना
मेरी आँखों से अश्कों की बरसात में।
मेरी आँखों से अश्कों की बरसात में।
मैने दिल दे दिया, आप को प्यार में
इसके आगे बचा, कुछ न सौग़ात में।।
इसके आगे बचा, कुछ न सौग़ात में।।
कवि:
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