दोहे | सिल्ला के दोहे | असली लेखक की पहचान
(लेखक उसनै जानिए)
लेखक उसनै जानिए,
लिखै दीन की पीर।
आंसू पौछै लोक के,
दे प्यासै नै नीर।।
लेखक उसनै मानिए,
करनी कथनी एक।
राह दिखावै लोक नै,
बात सुझावै नेक।।
आच्छा माड़ा जो लिखै,
कलम कसाई मान।
लोकगीत कै नाम पै,
लेखक उसनै मानिए,
करनी कथनी एक।
राह दिखावै लोक नै,
बात सुझावै नेक।।
आच्छा माड़ा जो लिखै,
कलम कसाई मान।
लोकगीत कै नाम पै,
गावै भूंडा गान।।
झूठ लिखै अखबार मैं,
लाज शर्म दी त्याग।
दाम लिखण के दे रया,
उसके गावै राग।।
लोक हितैषी लेख लिख,
समझ बूझ मजबूत।
भेदभाव नै मेट दे,
बण के समता दूत।।
तर्कशील लेखन करो,
रूढ़िवाद पै चोट।
माणस नै माणस समझ,
लिकड़ैं सारे खोट।।
सिल्ला लिखणा सै कला,
समझ बूझ लिख लेख।
भाईचारा बण सकै,
मेट विभाजन रेख।।
झूठ लिखै अखबार मैं,
लाज शर्म दी त्याग।
दाम लिखण के दे रया,
उसके गावै राग।।
लोक हितैषी लेख लिख,
समझ बूझ मजबूत।
भेदभाव नै मेट दे,
बण के समता दूत।।
तर्कशील लेखन करो,
रूढ़िवाद पै चोट।
माणस नै माणस समझ,
लिकड़ैं सारे खोट।।
सिल्ला लिखणा सै कला,
समझ बूझ लिख लेख।
भाईचारा बण सकै,
मेट विभाजन रेख।।
कवि:
विनोद सिल्ला
फतेहाबाद, हरियाणा
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